Megha Patidar
माँ शैलपुत्री को पर्वतों की देवी माना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को स्थिरता, शक्ति और धैर्य की प्राप्ति होती है। वे नंदी पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी को तपस्या और साधना की देवी माना जाता है। वे ध्यान, संयम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से आत्म-संयम और मन की शांति मिलती है।
माँ चंद्रघंटा शौर्य, वीरता और साहस की देवी हैं। वे दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं और राक्षसों का नाश करती हैं। उनकी पूजा से भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
माँ कूष्मांडा को सृष्टि की रचयिता माना जाता है। उनकी हंसी से ब्रह्मांड का जन्म हुआ था। उनकी कृपा से जीवन में समृद्धि और संपन्नता आती है।
माँ स्कंदमाता अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) के साथ पूजी जाती हैं। वे मातृत्व, सुरक्षा और प्रेम का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से सुख, शांति और समृद्धि मिलती है।
माँ कात्यायनी शक्ति और साहस की देवी हैं। वे असुरों का संहार करती हैं और धर्म की स्थापना करती हैं। उनकी पूजा से साहस और आत्मबल बढ़ता है।
माँ कालरात्रि का रूप अत्यंत भयानक है, परंतु वे अपने भक्तों के लिए बेहद सौम्य हैं। उनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियों और भय का अंत होता है।
माँ महागौरी शुद्धता, शांति और करुणा का प्रतीक हैं। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके वाहन वृषभ है। उनकी पूजा से पापों का नाश होता है और मन शांत होता है।
माँ सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की दात्री हैं। उनकी पूजा से भक्तों को चमत्कारी शक्तियों और ज्ञान की प्राप्ति होती है। वे कमल के आसन पर विराजमान होती हैं।