18 सितंबर 2024 से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। यह समय पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए समर्पित होता है।
BY- DEEPIKA PATIDAR
श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना। श्राद्ध कर्म से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तर्पण के लिए आवश्यक सामग्री: – जल से भरा तांबे का पात्र – काले तिल, जौ, और कुशा विधि: तिल और जौ मिलाकर जल के साथ तीन बार पितरों का तर्पण करें।
श्राद्ध भोज में सात्विक भोजन परोसा जाता है, जिसमें प्रमुख व्यंजन हैं: – खीर – पूरी या रोटी – सादा चावल – दाल और सब्जी (बिना लहसुन-प्याज)
पितृ पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। इन 16 दिनों में श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।
गया जी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। इसे हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की पूर्ण शांति के लिए सबसे पवित्र स्थान माना गया है।
तीसरे साल में पिंडदान से आत्मा को पूर्ण शांति और मोक्ष मिलता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जिससे पितरों को आशीर्वाद मिलता है।
गया जी में पिंडदान की विधि: 1. फल्गु नदी में स्नान 2. तर्पण 3. चावल, तिल, और जौ से बने पिंड अर्पित करें 4. ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान
पितृ पक्ष का यह समय पितरों की आत्मा की शांति और परिवार में सुख-समृद्धि लाने के लिए समर्पित होता है। श्राद्ध और पिंडदान से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।