वट सावित्री पूर्णिमा 2025

By DEEPIKA  PATIDAR

व्रत रख रही हैं? इन गलतियों से बचें, वरना नहीं मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान। जानें सही नियम 

क्यों खास है ये व्रत?  वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। 

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पूजा सामग्री हो सही  पूजा से पहले सभी सामग्री जैसे कच्चा सूत, बांस का पंखा, भीगे चने, फल, फूल, सिंदूर, धूप-दीप आदि इकट्ठा कर लें। अधूरी सामग्री से पूजा न करें। 

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कथा सुनना है अनिवार्य  वट वृक्ष की पूजा के दौरान सावित्री और सत्यवान की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। कथा के बिना यह व्रत और पूजा अधूरी मानी जाती है। 

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परिक्रमा का नियम न तोड़ें  वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत लपेटते हुए 7, 11, 21 या 108 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय पति की लंबी उम्र की कामना करें और बातचीत न करें। 

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मन, वचन और कर्म से रहें शुद्ध  व्रत के दिन किसी से वाद-विवाद न करें, अपशब्द न बोलें और मन में किसी के प्रति बुरे विचार न लाएं। अपने आचरण को पूरी तरह शुद्ध रखें। 

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इन रंगों के वस्त्रों से करें परहेज  इस दिन पूजा में नीले, काले या सफेद रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। लाल, पीला, हरा जैसे शुभ रंग के वस्त्र पहनना उत्तम माना जाता है। 

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इन सभी नियमों का श्रद्धापूर्वक पालन करने से देवी सावित्री प्रसन्न होती हैं और व्रती महिला को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।