Yogini Ekadashi 2025: जानें क्यों मनाई जाती है यह पुण्यदायी एकादशी,क्या है इसका महत्व और व्रत कथा

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Yogini Ekadashi,हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। हर महीने में दो एकादशी तिथियाँ आती हैं – एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ये सभी तिथियाँ भगवान विष्णु को समर्पित हैं और इन पर व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इन्हीं में से एक है योगिनी एकादशी, जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आती है।

योगिनी एकादशी 2025 का व्रत न केवल व्यक्ति के इस जन्म के पापों को नष्ट करता है, बल्कि पूर्व जन्म के पापों से भी मुक्ति दिलाता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को शारीरिक रोगों, विशेषकर कुष्ठ जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है और वह अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। आइए, इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि योगिनी एकादशी क्यों मनाई जाती है, इसका महत्व क्या है और इसकी व्रत कथा क्या कहती है।

योगिनी एकादशी 2025: तिथि और पारण समय (Yogini Ekadashi 2025: Date and Parana Time)

साल 2025 में योगिनी एकादशी का व्रत भक्तों के लिए विशेष फलदायी रहेगा। पंचांग के अनुसार तिथियाँ इस प्रकार हैं:

  • एकादशी तिथि:  शनिवार, 21 जून 2025
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ: 21 जून 2025, सुबह 07:18 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 22 जून 2025, सुबह 04:27 बजे
  • पारण (व्रत तोड़ने का) समय: 22 जून 2025, दोपहर 01:47 बजे से शाम 04:35 बजे तक

क्यों मनाई जाती है योगिनी एकादशी?

योगिनी एकादशी मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य पापों से प्रायश्चित और रोगों से मुक्ति पाना है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति जाने-अनजाने में कोई पाप कर बैठता है या किसी श्राप के कारण कष्ट भोग रहा हो, उसके लिए यह एकादशी किसी वरदान से कम नहीं है।

इसका नाम ‘योगिनी’ इसलिए है क्योंकि यह व्रत व्यक्ति को सांसारिक भोगों और रोगों से दूर कर उसे परमात्मा के ‘योग’ में लीन होने में मदद करता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और उसे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि योगिनी एकादशी का व्रत 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य फल देता है।

योगिनी एकादशी का महत्व (Importance of Yogini Ekadashi)

  • पापों का नाश: यह एकादशी सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पापों को नष्ट करने की क्षमता रखती है।
  • रोगों से मुक्ति: पौराणिक कथा के अनुसार, इस व्रत ने एक श्रापित यक्ष को कुष्ठ रोग से मुक्त किया था। इसलिए, यह व्रत शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने में सहायक माना जाता है।
  • स्वर्ग की प्राप्ति: जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ योगिनी एकादशी का व्रत करता है, उसे मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक में स्थान मिलता है।
  • भगवान विष्णु की कृपा: यह व्रत भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इसका पालन करने से साधक पर श्रीहरि की विशेष कृपा बरसती है।
  • पीपल के वृक्ष का महत्व: इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विधान है। माना जाता है कि पीपल में त्रिदेवों का वास होता है और इसकी पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं।

योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)

स्वर्ग की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम के एक राजा थे, जो शिव के परम भक्त थे। उनके यहाँ हेममाली नाम का एक यक्ष सेवक था, जिसका कार्य प्रतिदिन मानसरोवर से राजा की पूजा के लिए फूल लाना था। हेममाली अपनी पत्नी स्वरूपवती पर अत्यंत मोहित था।

एक दिन वह मानसरोवर से फूल तो ले आया, लेकिन अपनी पत्नी के साथ काम-क्रीड़ा में इतना व्यस्त हो गया कि उसे राजा कुबेर के पास समय पर पहुंचना याद ही नहीं रहा। दोपहर तक जब हेममाली नहीं पहुँचा, तो राजा कुबेर क्रोधित हो गए और उन्होंने सैनिकों को उसका पता लगाने भेजा।

सैनिकों ने लौटकर बताया कि हेममाली अपनी पत्नी के साथ भोग-विलास में लिप्त है। यह सुनकर कुबेर का क्रोध चरम पर पहुँच गया। उन्होंने हेममाली को श्राप दिया, “अरे पापी! तूने भगवान शिव का अपमान किया है। जा, मैं तुझे श्राप देता हूँ कि तू स्त्री के वियोग में तड़पेगा और पृथ्वी पर जाकर कुष्ठ रोगी बनकर कष्ट भोगेगा।”

श्राप के प्रभाव से हेममाली तुरंत स्वर्ग से पृथ्वी पर आ गिरा और उसका शरीर श्वेत कुष्ठ से गलने लगा। वह घने जंगलों में भटकता रहा, भूख-प्यास से तड़पता रहा और अपने पापों पर पश्चाताप करता रहा। कई वर्षों तक भटकने के बाद, एक दिन वह सौभाग्य से मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुँच गया।

ऋषि ने उसे देखकर उसकी पीड़ा का कारण पूछा। हेममाली ने रोते हुए अपनी सारी व्यथा सुनाई। उसकी दुखभरी कहानी सुनकर दयालु मार्कण्डेय ऋषि ने कहा, “हे यक्ष! तुमने सत्य बताया है, इसलिए मैं तुम्हें इस श्राप से मुक्ति का उपाय बताता हूँ। तुम आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का व्रत पूरी विधि-विधान से करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएँगे और तुम इस रोग से मुक्त होकर पुनः अपने लोक को प्राप्त करोगे।”

हेममाली ने ऋषि के बताए अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसका कुष्ठ रोग ठीक हो गया और वह अपने दिव्य शरीर को पुनः प्राप्त कर स्वर्गलोक चला गया। तभी से यह एकादशी पापों और रोगों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है।

योगिनी एकादशी पूजा विधि (Yogini Ekadashi Puja Vidhi)

  1. दशमी से नियम: व्रत के नियम दशमी तिथि की रात से ही शुरू हो जाते हैं। इस दिन से तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा) का त्याग कर देना चाहिए।
  2. प्रातःकाल स्नान: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
  3. व्रत का संकल्प: भगवान विष्णु के समक्ष हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
  4. पूजा: घर के मंदिर में भगवान विष्णु या उनके शालिग्राम स्वरूप की स्थापना करें। उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं।
  5. नैवेद्य: भगवान को पीले फूल, फल, तुलसी दल, पंचामृत और मिठाई अर्पित करें। ध्यान रहे कि एकादशी पर चावल का प्रयोग वर्जित है।
  6. मंत्र जाप और कथा: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और योगिनी एकादशी की व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
  7. जागरण: रात में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  8. पारण: द्वादशी तिथि को सुबह ब्राह्मण को भोजन कराने और दान-दक्षिणा देने के बाद ही व्रत का पारण करें।

निष्कर्ष

योगिनी एकादशी 2025 केवल एक व्रत नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का एक सुनहरा अवसर है। यह हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और पश्चाताप से बड़े से बड़ा पाप और कष्ट भी दूर हो सकता है। यदि आप भी जीवन में शांति, समृद्धि और आरोग्य की कामना करते हैं, तो इस पुण्यदायी एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा से अवश्य करें।

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FAQs-

Yogini Ekadashi 2025 kab hai?

Yogini Ekadashi saal 2025 mein Saturday, yaani 21 June ko manayi jayegi.

Yeh Ekadashi kyu manayi jaati hai?

Yeh Ekadashi mainly paapon (sins) aur beemariyon, khaaskar skin problems (tvacha rogon) se mukti paane ke liye manayi jaati hai. Isse aatma shuddh hoti hai.

Is vrat ka sabse bada fayda kya hai?

Shastron ke anusaar, is ek vrat ko rakhne se 88,000 brahmins ko bhojan karane jitna punya milta hai. Yeh aapke is janam aur pichle janam ke paap bhi nasht karti hai.

Vrat mein kya kha sakte hain?

Aap vrat mein fal (fruits), doodh (milk), dahi, aur dry fruits kha sakte hain. Samak ke chawal, kuttu ya singhare ka aata bhi use kar sakte hain. Bas anaj (grains) jaise gehu, chawal, daal nahi khana hai.

Is din kis Bhagwan ki pooja hoti hai?

Yeh Ekadashi Bhagwan Vishnu ko samarpit hai. Is din unki aur unke Lakshmi-Narayan swaroop ki pooja ki jaati hai.

Yogini Ekadashi ki simple pooja vidhi kya hai?

Subah jaldi nahakar, saaf peele kapde pehne. Bhagwan Vishnu ki photo ya murti ke saamne ghee ka diya jalayein. Unhe peele phool, fal aur Tulsi dal arpit karein. ‘Om Namo Bhagavate Vasudevaya’ mantra ka jaap karein aur vrat katha sunein.

Kya is din chawal (rice) kha sakte hain?

Bilkul nahi! Kisi bhi Ekadashi ke din chawal ya chawal se bani koi bhi cheez khana paap maana jaata hai. Isliye isse door rahein.

‘Yogini’ naam ka kya matlab hai?

Yeh vrat insaan ko duniya ki मोह-माया (worldly attachments) aur rogon se dur karke Bhagwan ke ‘Yog’ yaani unse judne mein help karta hai. Isiliye iska naam ‘Yogini’ Ekadashi hai.

Kya yeh vrat sach mein kusth rog (leprosy) theek karta hai?

Haan, iski pauranik katha (ancient story) ke anusaar, Raja Kuber ke sevak Hemmali ko is vrat ke prabhav se hi kusth rog se mukti mili thi. Isliye iski aisi maanyata hai ki yeh rogon se chhutkara dilata hai.

Agar poora din nirjala vrat na kar paayein toh kya karein?

Agar aap poora din bina kuch khaye-piye (nirjala) nahi reh sakte, toh aap falahaar vrat (sirf fal aur doodh lekar) bhi kar sakte hain. Bhagwan aapki bhavna (devotion) dekhte hain, kathorta nahi.

Vrat ke baad daan mein kya dena chahiye?

Parana karne se pehle kisi zarooratmand ya Brahmin ko bhojan karana bahut shubh hota hai. Aap apni shraddha anusaar peele vastra (clothes), fal (fruits), ya anaaj (grains) ka daan kar sakte hain.

Kya is din Tulsi todni chahiye?

Nahi, Ekadashi ke din Tulsi ke patte todna mana hai. Pooja ke liye Tulsi dal ek din pehle, yaani Dashami ko hi tod kar rakh lein.

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Deepika Patidar
Deepika Patidar

Deepika patidar is a dedicated blogger who explores Hindu mythology through ancient texts, bringing timeless stories and spiritual wisdom to life with passion and authenticity.

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