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बृहस्पति देवता की आरती

बृहस्पति देवता की आरती

बृहस्पति देवता, जिन्हें गुरु ग्रह के कारण ज्ञान और विद्या के देवता माना जाता है, भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। बृहस्पतिवार के दिन इनकी आरती करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह आरती व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करती है और कष्टों का निवारण करती है।

बृहस्पति देवता की आरती

ओऽम् जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।

छिन-छिन भोग लगाऊँ कदली फल मेवा। ओऽम्।

तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी।

जगत पिता जगदीश्वर तुम सबके स्वामी। ओऽम्।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता। ओऽम्।

तन, मन, धन अर्पण कर जो शरण पड़े।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े। ओऽम्।

दीनदयाल, दयानिधि, भक्तन हितकारी।

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधनहारी। ओऽम्।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारी।

विषय विकार मिटाओ संतनसुखकारी। ओऽम्।

जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।

जेष्ठानंद, बंद सो-सो निश्चय फल पावे। ओऽम्।

बृहस्पति देवता की आरती के लाभ


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FAQs

बृहस्पति देवता की आरती कब करनी चाहिए?

बृहस्पति देवता की आरती मुख्य रूप से बृहस्पतिवार के दिन की जाती है। इसे सूर्योदय के समय या शाम को दीपक जलाकर करना शुभ माना जाता है।

आरती के लिए क्या तैयारी करनी चाहिए?

पीले फूल, गुड़, चने की दाल, दीपक, और अगरबत्ती तैयार रखें। स्वच्छ वस्त्र पहनकर शांत मन से आरती करें।

क्या बृहस्पति देवता की आरती से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?

बृहस्पति देवता की आरती नियमित रूप से करने से ज्ञान, धन, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति के कर्म और आस्था पर भी निर्भर करता है।

क्या बृहस्पति देवता की आरती का विशेष मंत्र है?

बृहस्पति देवता का मूल मंत्र है: “ॐ बृहस्पतये नमः।” इस मंत्र का जाप आरती के साथ करना विशेष फलदायी होता है।

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