भारत के अलग-अलग राज्यों में अक्षय तृतीया को विविध रूपों में मनाया जाता है, लेकिन हर जगह इसका भाव एक ही है — शुभता और समृद्धि। 

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By Deepika Patidar

महाराष्ट्र में आखातीज के रूप में धूमधाम 

इस दिन महिलाएं हल्दी-कुमकुम का आदान-प्रदान करती हैं और नए बर्तन खरीदती हैं। गुड़ और घी का प्रसाद बांटा जाता है।

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राजस्थान - आखा तीज

बेटियाँ इस दिन अपने माता-पिता को सोने-चांदी का उपहार देती हैं और उनका आशीर्वाद लेती हैं।

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उत्तर प्रदेश और बिहार - स्नान और दान

इस दिन गंगा, यमुना या सरयू नदी में स्नान करके दान-पुण्य किया जाता है। सोना खरीदने की भी परंपरा है।

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ओडिशा - मिथुन संक्रांति

इस दिन किसान नए बीज बोते हैं और खेतों में हल चलाते हैं। भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है।

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बंगाल में लक्ष्मी-नारायण की आराधना 

इस दिन लक्ष्मी और विष्णु की पूजा की जाती है। गरीबों को चावल, दाल और वस्त्र दान किए जाते हैं।

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केरल और तमिलनाडु में विशेष अनुष्ठान 

इस दिन सोने-चांदी की खरीदारी की जाती है और मंदिरों में विशेष पूजा आयोजित होती है।

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पंजाब और हरियाणा-किसानों का शुभ दिन 

इस दिन किसान नए बीज बोते हैं और खेतों में पूजा करते हैं। गरीबों को भोजन दान दिया जाता है।

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समृद्धि, शुभता और अनंत कल्याण की कामना। भारत की सांस्कृतिक विविधता अक्षय तृतीया को और भी सुंदर बनाती है।

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विविधता में एकता - अक्षय तृतीया

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